भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (ISRO)
भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए जिम्मेदार है, जिसकी स्थापना 15 अगस्त 1969 मैं हुई, डॉ बिक्रम साराभाई द्वारा इसकी नींव रखी गई। विक्रम साराभाई ने भारत जैसे विकासशील देश के लिए अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्व के बारे में सरकार को राजी किया और कहा देश को इसकी जरूरत है. डॉ. साराभाई ने अपने उद्धरण में अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्व पर जोर दिया था. 50 वर्षों के उपरांत भारत नेे अंतरिक्ष में बहुत सारी सफलताएं हासिल की है, और पूरी दुनिया को अपनी कुशलता का परिचय दिया। ISRO दुनिया की छह अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक है जो अपनी धरती से उपग्रहों के निर्माण और प्रक्षेपण की क्षमता रखती है।
1975 में पहला भारतीय उपग्रह, आर्यभट्ट का नाम एक भारतीय खगोलशास्त्री और गणितज्ञ के नाम पर रखा गया था, अब तक कुल मिलाकर 118 उपग्रह अंतरिक्ष मैं भेजे जा चुके है। डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण वाहन के निदेशक थे, वो एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश के कुछ सबसे महत्वपूर्ण संगठनों (डीआरडीओ और इसरो) में कार्य किया। उन्होंने वर्ष 1998 के पोखरण द्वितीय परमाणु परिक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ कलाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और मिसाइल विकास कार्यक्रम के साथ भी जुड़े थे। इसी कारण उन्हें ‘मिसाइल मैन’ भी कहा जाता है।
भारत के अधिकांश उपग्रह - 62% - का उपयोग संचार और पृथ्वी अवलोकन के लिए किया जाता है, इसके अलवा उपग्रहों से उपजी कार्टोग्राफिक अनुप्रयोग, शहरी और ग्रामीण अनुप्रयोगों, बुनियादी ढांचे की योजना, तटीय भूमि उपयोग और विनियमन, उपयोगिता प्रबंधन जैसे कि सड़क नेटवर्क की निगरानी, जल ग्रिड या वितरण, भूमि उपयोग के नक्शे का निर्माण, आदि के लिए उपग्रह उपयोगी है। भारत ने अंतरिक्ष मै कई महत्वपूर्ण मिशनों को अंजाम दिया जिसमे से चंद्रयान 1, चंद्रयान 2, मिशन मंगल, इंडियन रीजनल नेवीगेशन सेटेलाइट, जीएसएलवी मार्क आदि है।
महत्वपूर्ण तथ्य और समाचार हर भारतीय को अवश्य जानना चाहिए!
- भारत दुनिया का एक मात्र देश है जिसका पहले प्रयास में मंगल पर पहुंचने का एकमात्र मिशन मंगल था।
- मंगल मिशन केवल 450 करोड़ । साथ अब तक का सबसे सस्ता मिशन है। (रु। 12 / किमी)।
- एक साथ 104 सैटेलाइट की लॉन्चिंग ISRO ने एक नया कीर्तिमान बना दिया। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से एकसाथ 104 सैटेलाइट को सफलता पूर्वक लॉन्च किया गया। इससे पहले एकसाथ इतने सैटेलाइट कभी नहीं छोड़े गए थे। यह रिकॉर्ड अभी तक रूस के पास था। उसने 2014 में एक साथ 37 सैटेलाइट भेजे थे।
- 1984 में, भारत ने अपना पहला कॉस्मोनॉट राकेश शर्मा को सोवियत अंतरिक्ष यान में अंतरिक्ष में भेजा।
- 2022 में ISRO गगनयान नामक मिशन में पहला अंतरिक्ष यात्री भेजेगा
- ISRO दुनिया की उन छह अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक है, जो अपनी धरती से उपग्रहों के निर्माण और प्रक्षेपण की क्षमता रखती है।
अंतरिक्ष मैं भारत की भूमि समय समय पर अपनी कुशलता का परचय दुनिया को देती रहेगी, डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और साराभाई जैसे महान वैज्ञानिकों की प्रेरणा सदा हमें नयी सोच और बेहतर बनने की ओर अग्रसर करेगी।
जय हिन्द जय भारत....
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