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प्रकृति और मानवता...

हम इंसानों ने पिछले कुछ शताब्दियों में मानवता के विकास के आधार पर बहुत बड़ी उपलब्धियां हासिल की है, हमने अपने जीवन को सरल व समृद्ध बनाने के लिए प्रत्येक क्षेत्र में अथक प्रयास किए हैं| हमने एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने के लिए घोड़ा गाड़ी से लेकर के हवाई जहाज तक का सफर किया है, मोटर गाड़ियों से लेकर के बुलेट ट्रेन तक का सफर तय पत्र व्यवहार से लेकर के आज हमने मोबाइल और इंटरनेट तक की दूरी तय की है| इन तमाम उपलब्धियों को हासिल करके  आज पूरा विश्व एक साथ जुड़ चुका है, हमने धरती से चांद और मंगल तक का सफर किया है और  यह आश्चर्य की बात नहीं होगी जब हम आने वाली शताब्दियों में ब्रह्मांड मैं और भी उपलब्धियां प्राप्त कर चुके होंगे| आज दुनिया के हर बड़े और छोटे देश मैं टेक्नोलॉजी और चिकित्सा के क्षेत्र में होड़ मची हुई है| इसके चलते दुनिया के तमाम देशों मैं स्वतंत्रता, राजनीतिक, व्यवसायिक और भौगोलिक सीमा क्षेत्र को लेकर विवाद होते आए हैं और यहां इंसानों के लिए स्वाभाविक है अपनी स्वतंत्रता और अपने हक के लिए लड़ना| पर शायद इस मानवता की दौड़ में इस इस विकास की चाहत बेहतर बनने की होड़ मे...

स्वामी विवेकानन्द..(भारत को जानना है तो स्वामी विवेकानंद को जानो)

आज भी पूरा विश्व वह आवाज नहीं नहीं भूल पाया है जो अमेरिका के शिकागो में 11 सितंबर 1893 मे गूंजी थी। " न तो ईसाई को हिन्दू या बौद्ध बनने की जरूरत है और ना ही हिन्दू और बौद्ध को ईसाई बनने की। परंतु इन सभी को अन्य धर्मों की मूल आत्मा को आत्मसात करना होगा और इसके साथ-साथ, अपनी वैयक्तिता को भी सुरक्षित रखना होगा। अगर विश्व धर्म संसद ने दुनिया को कुछ दिखाया है तो वह यह हैः इसने दुनिया को यह साबित किया है कि शुचिता, पवित्रता और परोपकार पर दुनिया के किसी चर्च का एकाधिकार नहीं है और हर धर्म ने उदात्त चरित्र वाले पुरूषों और महिलाओं को जन्म दिया है।"  30 वर्षीय एक भारतीय युवा ने  विश्व धर्म सम्मेलन में  भारत की अगुवाई करते हुए पूरे विश्व को हिंदुत्व और संपूर्ण धर्म जननी भारत की संस्कृति  से परिचित कराया। पूरे विश्व मै शांति और एकता का सन्देश देकर भारत के लिए एक नए युग की सुरवात की थी।   भारत के  कोलकाता मैं 12 जनवरी 1863 मैं जन्मे  नरेन्द नाम का यह युवा स्वामी विवेकानंद बनकर पूरी मानवता के लिए प्रेणा के स्रोत है।  स्वामी विवेकानंद एक महान चिंतक और दार्श...

जानिए भारत की अंतरिक्ष यात्राएं.....।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (ISRO)  भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए जिम्मेदार है,  जिसकी स्थापना 15 अगस्त 1969  मैं हुई,  डॉ बिक्रम साराभाई    द्वारा इसकी नींव रखी गई ।   विक्रम साराभाई ने भारत जैसे विकासशील देश के लिए अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्व के बारे में सरकार को राजी किया और कहा देश को इसकी जरूरत है. डॉ. साराभाई ने अपने उद्धरण में अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्व पर जोर दिया था .  50 वर्षों के उपरांत भारत नेे अंतरिक्ष में बहुत सारी सफलताएं हासिल की है, और पूरी दुनिया को अपनी कुशलता का परिचय दिया। ISRO   दुनिया की छह अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक है जो अपनी धरती से उपग्रहों के निर्माण और प्रक्षेपण की क्षमता रखती है। दुनिया में बजा भारत का डंका....! 1975 में  पहला भारतीय उपग्रह, आर्यभट्ट का नाम एक भारतीय खगोलशास्त्री और गणितज्ञ के नाम पर रखा गया था , अब तक कुल मिलाकर 118 उपग्रह अंतरिक्ष मैं भेजे जा चुके है।  डॉ   ए . पी. जे. अब्दुल कलाम    भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण वाहन के निदेशक थे, वो  ...