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आप भारत के बारे मैं कितना जानते हैँ??

भारत 135 करोड़ की आबादी वाला यह देश हमेशा से ही विश्व भर में अपनी एकता, संस्कृति, सभ्यता, कला, संगीत भाषाओंं व धर्मों के लिए जाना जाता है। दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं मेंं से एक मात्र ऐसा देश हैैै जिसने कभी किसी देश पर आक्रमण नहीं किया क्योंकि हमारी संस्कृति पूरे विश्व को  वसुधैव कुटुम्बकं( पूरा विश्व हमारा परिवार है)   की सीख देता आया है। जब 5000 साल पलहे कई संस्कृतिया खानाबदोश वनवासी थे, तो भारतीयो ने सिंधु घाटी ( सिंधु घाटी सभय्ता)   में हड्डपा संस्कृति की स्तापना की 8वी शताब्दी  मैं फ़ारसी आक्रमणकारियों ने इसे हिंदू में परिवर्तित कर दिया हिंदुस्तान नाम हिंदू और हिंदू को जोड़ता है इस प्रकार यह हिंदुओं की भूमि को संदर्भित करता है 1950 मैं भारत देश के नाम के रूप में भारत को चुना गया,   कहा जाता है कि भ्राता या भ्राता-वर (भरत-वर्ण) को दुष्यंत के पुत्र भरत या ऋषभ के पुत्र भरत के नाम से लिया गया है। कई पुराणों में कहा गया है कि यह ऋषभ के पुत्र भरत के नाम से लिया गया है। हालांकि, कुछ पुराणों में कहा गया है कि यह भरत से लिया गया है, जो ऋषभ के पूर्वज म

जानिए भारत की अंतरिक्ष यात्राएं.....।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (ISRO)  भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए जिम्मेदार है,  जिसकी स्थापना 15 अगस्त 1969  मैं हुई,  डॉ बिक्रम साराभाई    द्वारा इसकी नींव रखी गई ।   विक्रम साराभाई ने भारत जैसे विकासशील देश के लिए अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्व के बारे में सरकार को राजी किया और कहा देश को इसकी जरूरत है. डॉ. साराभाई ने अपने उद्धरण में अंतरिक्ष कार्यक्रम के महत्व पर जोर दिया था .  50 वर्षों के उपरांत भारत नेे अंतरिक्ष में बहुत सारी सफलताएं हासिल की है, और पूरी दुनिया को अपनी कुशलता का परिचय दिया। ISRO   दुनिया की छह अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक है जो अपनी धरती से उपग्रहों के निर्माण और प्रक्षेपण की क्षमता रखती है। दुनिया में बजा भारत का डंका....! 1975 में  पहला भारतीय उपग्रह, आर्यभट्ट का नाम एक भारतीय खगोलशास्त्री और गणितज्ञ के नाम पर रखा गया था , अब तक कुल मिलाकर 118 उपग्रह अंतरिक्ष मैं भेजे जा चुके है।  डॉ   ए . पी. जे. अब्दुल कलाम    भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण वाहन के निदेशक थे, वो   एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक और भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने देश के कुछ

स्वामी विवेकानन्द..(भारत को जानना है तो स्वामी विवेकानंद को जानो)

आज भी पूरा विश्व वह आवाज नहीं नहीं भूल पाया है जो अमेरिका के शिकागो में 11 सितंबर 1893 मे गूंजी थी। " न तो ईसाई को हिन्दू या बौद्ध बनने की जरूरत है और ना ही हिन्दू और बौद्ध को ईसाई बनने की। परंतु इन सभी को अन्य धर्मों की मूल आत्मा को आत्मसात करना होगा और इसके साथ-साथ, अपनी वैयक्तिता को भी सुरक्षित रखना होगा। अगर विश्व धर्म संसद ने दुनिया को कुछ दिखाया है तो वह यह हैः इसने दुनिया को यह साबित किया है कि शुचिता, पवित्रता और परोपकार पर दुनिया के किसी चर्च का एकाधिकार नहीं है और हर धर्म ने उदात्त चरित्र वाले पुरूषों और महिलाओं को जन्म दिया है।"  30 वर्षीय एक भारतीय युवा ने  विश्व धर्म सम्मेलन में  भारत की अगुवाई करते हुए पूरे विश्व को हिंदुत्व और संपूर्ण धर्म जननी भारत की संस्कृति  से परिचित कराया। पूरे विश्व मै शांति और एकता का सन्देश देकर भारत के लिए एक नए युग की सुरवात की थी।   भारत के  कोलकाता मैं 12 जनवरी 1863 मैं जन्मे  नरेन्द नाम का यह युवा स्वामी विवेकानंद बनकर पूरी मानवता के लिए प्रेणा के स्रोत है।  स्वामी विवेकानंद एक महान चिंतक और दार्शनिक थे, जो  एक सन्याशी के रूप मे आ