आज भी पूरा विश्व वह आवाज नहीं नहीं भूल पाया है जो अमेरिका के शिकागो में 11 सितंबर 1893 मे गूंजी थी। " न तो ईसाई को हिन्दू या बौद्ध बनने की जरूरत है और ना ही हिन्दू और बौद्ध को ईसाई बनने की। परंतु इन सभी को अन्य धर्मों की मूल आत्मा को आत्मसात करना होगा और इसके साथ-साथ, अपनी वैयक्तिता को भी सुरक्षित रखना होगा। अगर विश्व धर्म संसद ने दुनिया को कुछ दिखाया है तो वह यह हैः इसने दुनिया को यह साबित किया है कि शुचिता, पवित्रता और परोपकार पर दुनिया के किसी चर्च का एकाधिकार नहीं है और हर धर्म ने उदात्त चरित्र वाले पुरूषों और महिलाओं को जन्म दिया है।" 30 वर्षीय एक भारतीय युवा ने विश्व धर्म सम्मेलन में भारत की अगुवाई करते हुए पूरे विश्व को हिंदुत्व और संपूर्ण धर्म जननी भारत की संस्कृति से परिचित कराया। पूरे विश्व मै शांति और एकता का सन्देश देकर भारत के लिए एक नए युग की सुरवात की थी। भारत के कोलकाता मैं 12 जनवरी 1863 मैं जन्मे नरेन्द नाम का यह युवा स्वामी विवेकानंद बनकर पूरी मानवता के लिए प्रेणा के स्रोत है। स्वामी विवेकानंद एक महान चिंतक और दार्श...
Knowledge for freedom and wisdom. Learning and negotiations is to kye grow together and become the best version of youself. Everyone have ability to grow and be the master of their life.
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