हम इंसानों ने पिछले कुछ शताब्दियों में मानवता के विकास के आधार पर बहुत बड़ी उपलब्धियां हासिल की है, हमने अपने जीवन को सरल व समृद्ध बनाने के लिए प्रत्येक क्षेत्र में अथक प्रयास किए हैं| हमने एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने के लिए घोड़ा गाड़ी से लेकर के हवाई जहाज तक का सफर किया है, मोटर गाड़ियों से लेकर के बुलेट ट्रेन तक का सफर तय पत्र व्यवहार से लेकर के आज हमने मोबाइल और इंटरनेट तक की दूरी तय की है| इन तमाम उपलब्धियों को हासिल करके आज पूरा विश्व एक साथ जुड़ चुका है,
हमने धरती से चांद और मंगल तक का सफर किया है और यह आश्चर्य की बात नहीं होगी जब हम आने वाली शताब्दियों में ब्रह्मांड मैं और भी उपलब्धियां प्राप्त कर चुके होंगे|
इसके चलते दुनिया के तमाम देशों मैं स्वतंत्रता, राजनीतिक, व्यवसायिक और भौगोलिक सीमा क्षेत्र को लेकर विवाद होते आए हैं और यहां इंसानों के लिए स्वाभाविक है अपनी स्वतंत्रता और अपने हक के लिए लड़ना|
पर शायद इस मानवता की दौड़ में इस इस विकास की चाहत बेहतर बनने की होड़ में हम कुछ भूल रहे हैं|
हम भूल रहे हैं अपनी इस प्रकृति को हमने अपनी इन जरूरतों और चाहतों को पूरा करने के लिए प्रकृति को भारी नुकसान पहुंचाया है जिसके फलस्वरूप वैश्विक स्तर पर Global warming, water pollution, Air pollution, Noice pollution जैसी गंभीर समस्याएं हमारे सामने उभर कर आई है हमने बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों का निर्माण करके रेडिएशन और केमिकल से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को बढ़ावा दिया है|
आज पानी की समस्या एक गंभीर समस्या बन चुकी है,स्वच्छ ताजे पानी एक स्वस्थ मानव जीवन के लिए एक आवश्यक घटक है, लेकिन 1.1 बिलियन लोगों को पानी तक पहुंच की कमी है और साल में कम से कम एक महीने में 2.7 बिलियन पानी की कमी का अनुभव होता है। 2025 तक, दुनिया की दो-तिहाई आबादी पानी की कमी का सामना कर रही होगी।
पीने हेतु स्वच्छ पानी ना मिलने के कारण बीमारियों का शिकार होते हैं दूषित पेयजल और असुरक्षित स्वच्छता से लगभग दो मिलियन लोग सालाना मरते हैं, जिससे परजीवी संक्रमण और हैजा हो सकता है। भारत में हर साल प्रदूषण से होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा 2.5 मिलियन, इसके बाद चीन में 1.8 मिलियन है|
इस प्रकार यदि हम इन घटित और आने वाली समस्याओं को अनदेखा करेंगे तो यह विकास और बेहतर बनने की चाहना का कुछ भी औचित्य नहीं रह जाएगा, और हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रदूषित गृह के अलावा और कुछ नहीं दे पाएंगे|
भले ही यह इंसान अपनी चाहत और जरूरतो को पूरा करने के लिए प्रकृति पर अपना नियंत्रण करने की कोशिश करें या एक दूसरे से विकास और बेहतरी की दौड़ करे या अन्य ग्रह पर मानवता का विकास करने की चेष्टा करें, अपितु हमेशा विफल ही रहेगा जब तक प्रकृति और प्रकृति से मिले संसाधनों का सही उपयोग और जिम्मेदारी पूरी मानवता नहीं ले लेती|
SUBHASH SINGH
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